भागवत कथा एक महत्वपूर्ण और विख्यात पुराण है | पुराणों की संख्या में देखा जाए तो भागवत कथा पुराण में समाहित है| भागवत पुराण में महर्षि सूत. जी ने कथा सुनाते हैं साधु लोग महर्षि सूत जी के कथा को बहुत ही ध्यानपूर्वक सुनते हैं और कथा सुनते सुनते उसी में लीन हुए रहते हैं रिशीलोक महर्षि सूत से भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों के बारे में अर्थात विभिन्न अवतार के बारे में पूछते हैं महर्षि सूत उन सभी के जवाब देते चले जाते हैं और भी बताते हैं कि वह इस कथा को एक ऋषि मकसूद से सुनी थी और उन्होंने बताया कि 12 स्कंध पुराणों में पहले स्कंद पुराण में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के बारे में बताया गया है
जिसे देवी भागवतम, भागवत पुराण, श्रीमद भागवतम और श्रीमद देवी भागवतम के नाम से भी जाना जाता है, देवी भगवती आदिशक्ति/दुर्गा जी को समर्पित एक संस्कृत पाठ है और हिंदू धर्म के अठारह प्रमुख महा पुराणों में से एक है जोकि महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित है। इस पाठ को देवी उपासकों और शाक्त सम्प्रदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महापुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्यका स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा श्री जगदम्बा भगवती दुर्गा जी के पवित्र आख्यानों से युक्त इस पुराण में लगभग १८,००० श्लोक है।
भगवान राम , भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार थे जिनका जन्म त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था। श्री राम 'इक्ष्वाकु वंश ' से संबंधित हैं जिसे राजा 'इक्ष्वाकु' जो भगवान सूर्य के पुत्र थे, उनके द्वारा स्थापित किया गया था, इसी वजह से रामचंद्र जी को 'सूर्यवंशी राजा' कहा जाता है।