पंचवटी श्री सीताराम आश्रम के तत्वाधान में निरंतर सनातन वैदिक धर्म के मूल्यों को स्थापित किया जा रहा है,जिसमें बच्चों में संस्कार व नैतिक शिक्षा के लिए संस्कार शालाओं की स्थापना की जा रही है। उपेक्षित व अभावग्रस्त मंदिरों में दीपदान की व्यवस्था कराई जा रही है। जरूरतमंदों के लिए अन्नपूर्णा मां की रसोई की व्यवस्था की जा रही है। भारतीय संस्कृति की रक्षा तथा धर्म जागरण के कार्य किए जा रहे हैं। संस्कारशाला पंचवटी श्री सीताराम आश्रम द्वारा अभावग्रस्त एवं निरीक्षक बच्चों तथा जनजातियों व पिछड़े क्षेत्रों में निशुल्क शिक्षा हेतु लगातार संस्कार शालाओं की स्थापना की जा रही है। बच्चे संस्कारित हो और शिक्षा के द्वारा समाज की मुख्यधारा में जुड़े इस हेतु आश्रम सदैव प्रयासरत हैं।
और जानें...राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के लिए समय-समय पर शिव संवाद के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी क्रम में 11 अगस्त 2023 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रांगण में अंतरराष्ट्रीय संवाद का कार्यक्रम किया जा रहा है।
भागवत कथा एक महत्वपूर्ण और विख्यात पुराण है | पुराणों की संख्या में देखा जाए तो भागवत कथा पुराण में समाहित है| भागवत पुराण में महर्षि सूत. जी ने कथा सुनाते हैं साधु लोग महर्षि सूत जी के कथा को बहुत ही ध्यानपूर्वक सुनते हैं और कथा सुनते सुनते उसी में लीन हुए रहते हैं रिशीलोक महर्षि सूत से भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों के बारे में अर्थात विभिन्न अवतार के बारे में पूछते हैं महर्षि सूत उन सभी के जवाब देते चले जाते हैं और भी बताते हैं कि वह इस कथा को एक ऋषि मकसूद से सुनी थी और उन्होंने बताया कि 12 स्कंध पुराणों में पहले स्कंद पुराण में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के बारे में बताया गया है
जिसे देवी भागवतम, भागवत पुराण, श्रीमद भागवतम और श्रीमद देवी भागवतम के नाम से भी जाना जाता है, देवी भगवती आदिशक्ति/दुर्गा जी को समर्पित एक संस्कृत पाठ है और हिंदू धर्म के अठारह प्रमुख महा पुराणों में से एक है जोकि महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित है। इस पाठ को देवी उपासकों और शाक्त सम्प्रदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महापुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्यका स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा श्री जगदम्बा भगवती दुर्गा जी के पवित्र आख्यानों से युक्त इस पुराण में लगभग १८,००० श्लोक है।
भगवान राम , भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार थे जिनका जन्म त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था। श्री राम 'इक्ष्वाकु वंश ' से संबंधित हैं जिसे राजा 'इक्ष्वाकु' जो भगवान सूर्य के पुत्र थे, उनके द्वारा स्थापित किया गया था, इसी वजह से रामचंद्र जी को 'सूर्यवंशी राजा' कहा जाता है।